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Friday, March 16, 2007

पाठ्यक्रम

अंग्रेजी में अक्‍सर विश्‍वविद्यालयी शिक्षण में ब्‍लॉगिंग का उपयोग किया जाता है। मैनें सोचा कि अपनी अनगढ़ चिट्ठाकारी के साथ साथ क्‍यों न इस प्रयोग को भी किया जाए। तो हमने किया ये कि पहले तो अगले साल की समय सारणी में अपने लिए बी ए (प्रो.) तृतीय वर्ष की रचनात्‍मक लेखन की कक्षा माँग ली जिसमें ब्‍लॉगिंग के उपयोग किए जाने की संभावनाएं सर्वाधिक थीं। क्‍योंकि यह पाठ्यक्रम व्‍यवहारिक व सैद्धांतिक स्‍तर पर हिंदी लेखन सिखाता है। दोनों ही हिस्‍सों का अंकभार 50% है। कक्षाएं शुरू होने में अभी 3 महीने का समय है और तैयारी के लिए पर्याप्‍त अवकाश है। साथी चिट्ठाकार यदि हिंदी में उपलब्‍ध सामग्री के लिंक सुझा सकें तो विश्‍वविद्यालय के बहुत से विद्यार्थियों को लाभ हो पाएगा। पत्रकार चिट्ठाकारों के पास भी अपने 'पैशन' के अनुरूप काफी गुजाइश है। इस कार्यक्रम का पाठ्यक्रम इस प्रकार है-

खंड 1- रचनात्‍मक लेखन

  1. रचनात्‍मक लेखन क्‍या है ?
  2. लोक-व्‍यवहार की भाषा तथा लेखन- साहित्‍य, पत्रकारिता, विज्ञापन, गद्यलेखन, भाषण, लोक-संस्‍कृति आदि के विभिन्‍न रूपों में रचनात्‍मकता

खंड 2- लेखन कला

  1. भाव तथा विचार और उसका विकास
  2. प्रतीक-अवधारणा, विविध-रूप, क्रोड और संदेश
  3. अलंकार- शब्‍दालंकार- अनुप्रास, यमक, श्‍लेष, वक्रोक्ति। अर्थालंकार- उपमा, उत्‍प्रेक्षा, रूपक, विभावना, विरोधाभास, अपह्नुति, असंगति, अतिशयोक्ति, कथनवक्रता

4. भाषा और शैली

खंड 3- रचनात्‍मक लेखन के तत्‍व

  1. कविता- लय, गति, तुक, छंद और काव्‍यरूप
  2. नाटक- कथानक, चरित्र, संवाद, रंगकर्म
  3. कथा साहित्‍य- कहानी, उपन्‍यास आदि


खंड 4- सूचना तंत्र के लिए लेखन

  1. प्रिंट माध्‍यम के लिए लेखन
  2. इलैक्‍ट्रानिक माध्‍यम के लिए लेखन

खंड 5- बाल साहित्‍य लेखन

खंड 6- प्रकाशन

  1. लेखक-पाठक संबंध
  2. प्रकाशन अथवा प्रसारण
  3. संपादन-प्रूफ पठन